हमारे बारे में
हमारे बारे मेंः-
प्रिय पाठको,
धन्यवाद सहित
रवीन्द्र कुमार खरे
प्रिय पाठको,
आज समाज में जिस तरह का माहौल है उसे दृष्टिगत रखते हुए इस ब्लॉग को तैयार करने का प्रयास किया है।
मेरे भाई बहनों ने बचपन में, विद्यालय जाने से पहले ही मुझमें पढ़ने की रुचि पैदा कर दी। उस दौर में "पराग" पत्रिका की सामग्री मेरी प्रिय पठन सामग्री रही। इसके अतिरिक्त अन्य पत्रिकाएँ जैसे नंदन, चंदामामा आदि भी पढ़ीं। इनकी कहानियों ने मुझे अच्छे-बुरे, सही-गलत, आचार-विचार की पहचान तो करवाई ही, भाषा का अच्छा ज्ञान भी करवाया।
आज बच्चों में कहानियाँ पढ़ने के प्रति रुचि लगभग समाप्त हो चुकी है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के दौर में तो, पाठ्यपुस्तकों से बचे समय में बच्चों की रुचि पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने से अधिक मोबाइल में खेल खेलने में, व्हाट्सएप और फेसबुक के संदेश पढ़ने में दिखाई देती है। माता-पिता को भी आधुनिक बच्चों की जिद के सामने झुकना पड़ता है। इसके दुष्परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। घर के बाहर खेलने में जो व्यायाम शरीर को स्वस्थ बनाए रखते थे, मोबाइल के खेल आँखों और शरीर की क्षमता को कम करते जा रहे हैं। छोटे, हमउम्र और स्वयं से बड़े लोगों के प्रति व्यवहार भी बदल कर रूखा और स्वार्थी हो गया है।
बहुत कुछ है जो हम सभी जानते हैं, और बहुत-से रचनात्मक दृष्टिकोण रखने वाले लेखक अभी भी समाचार-पत्रों के माध्यम से जन-जागरण में प्रयासरत हैं। समाचार-पत्रों में छपने वाले लेख और कहानियाँ उस समाचार-पत्र की पहुँच के क्षेत्र तक सीमित रहते हैं। इसके अतिरिक्त नगण्य व्यक्ति और बच्चों का ध्यान इस ओर जाता है। मेरे संपर्क में आने वाले लगभग सभी लोगों के बारे में कहूँ, तो कामकाजी लोग समयाभाव के कारण समाचार पढ़ने तक सीमित रहते हैं, और बच्चों के बारे में तो पहले ही कह चुका हूँ। शेष बचे वयोवृद्ध और सेवानिवृत व्यक्ति ही अपना समय लेख, कविताओं और कहानियों के लिए दे पाते हैं।
मैं स्पष्ट करना चाहूँगा कि मेरे ब्लॉग में मेरे अपने विचारों हेतु विनिर्दिष्ट स्तंभ के अतिरिक्त सभी सामग्री पाठकों के लाभार्थ, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार-पत्रों से संकलित की गई हैं, जिसका उल्लेख रचना के साथ किया गया है। यदि लेश-मात्र भी अपने प्रयास में सफल हो पाता हूँ, तो अत्यंत प्रसंन्नता होगी।
अंत में पाठकों से विनम्र निवेदन करना चाहूँगा कि मेरे इस प्रयास के संबंध में आपकी सकारात्मक राय मेरे मनोबल और उत्साह में वृद्धि करेगी, साथ ही, नकारात्मक राय मेरी त्रुटियों को दूर करने में सहायक होगी। अतः राय देने की कृपा अवश्य करें।
धन्यवाद सहित
रवीन्द्र कुमार खरे
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