शब्द और पंख

प्रेरक कथा - शब्द और पंख

Image result for feathers

एक किसान की एक दिन अपने पड़ोसी से खूब जमकर लड़ाई हुई। बाद में जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उसे खुद पर शर्म आई।

वह इतना शर्मसार हुआ कि एक साधु के पास पहुँचा और उससे बोला, "मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूँ।"

साधु ने कहा कि पंखों से भरा एक थैला लाओ और उसे शहर के बीचों-बीच उड़ा दो।

किसान ने ठीक वैसा ही किया, जैसा कि साधु ने उससे कहा था और फिर साधु के पास लौट आया।

लौटने पर साधु ने कहा, "अब जाओ और जितने भी पंख उड़े हैं, उन्हें बटोर कर थैले में भर लाओ।"

नादान किसान जब वैसा करने पहुँचा तो उसे मालूम हुआ कि यह काम मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। खैर, खाली थैला ले वह वापस साधु के पास आ गया। यह देख साधु ने उसे समझाया, "ऐसा ही मुँह से निकले शब्दों के साथ भी होता है। इसलिए हमेशा अपने शब्दों को तौल कर बोलना चाहिए।"

Comments

Popular posts from this blog

सोशल मीडिया और श्रद्धांजलि

गलती का अहसास

GoM on sexual harassment at workplace reconstituted