गलती का अहसास

शेख सादी बचपन से पढ़ने में बहुत तेज थे। उनकी हाजिर जवाबी और प्रखरबुद्धि का ही परिणां था कि कक्षा में सदैव अव्वल आया करते थे। एक दिन वह अपने साथी की शिकायत करने शिक्षक के पास पहुँचे।

"उस्ताद जी! कक्षा में मेरा साथी मुझसे जलता है। जब मैं हदीस के मुश्किल से मुश्किल शब्दों का आसान-सा मतलब निकालता हूँ, तो उसे मुझसे बहुत जलन होती है। यदि उसकी यही हालत रही, तो सचमुच उसे नरक ही मिलेगा।"

शिक्षक ने सुना तो बोले, "तुम्हारा साथी तुमसे जलता है, इसलिए तुम उस पर उंगली उठा रहे हो। मगर तुम भी तो अपने गिरेबां में झांक कर देखो कि तुम भी तो उससे जल रहे हो। पीठ पीछे किसी की निन्दा करना भी घोर अपराध है। अगर तुम्हारे दोस्त ने नरक का रास्ता अपनाया है, तो चुगलखोरी करके तुम भी उसी रास्ते पर जा रहे हो। खुदा से डरो, और किसी दूसरे की बुराई करने से पहले अपने अंदर झाँक कर देखो कि कहीं तुम भी किसी की बुराई तो नहीं करते हो?"

शिक्षक के समझाने पर शेख सादी को अपनी गलती का अहसास हो गया।

Comments

Popular posts from this blog

IMA scam accused Mansoor Khan returns to India

NRC : Minority outfits fear large-scale exclusion

ICJ to deliver verdict on Kulbhushan Jadhav today