हारे हुए का वक्तव्य

वह कथा कम सबको ज्ञात है कि लोमड़ी ने बहुत छलांग मारी, पर वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी। अव अहंकार यह भी तो स्वीकार नहीं कर सकता कि मेरी छलांग ही छोटी है। अहंकार यही कहेगा कि अंगूर खट्टे हैं।

लेकिन यह कहानी अघूरी है। अब आगे की कहानी पढ़िए। जब उस लोमड़ी ने यह कहानी पढ़ी, तो उसने तत्काल एक जिम्नाजियम में जाकर व्यायाम करना शुरू कर दिया। छलांग लगानी सीखी, दवाएँ लीं, ताकत के लिए विटामिन्स लिए। जब लोमड़ी पर्याप्त ताकतवर हो गई, तो वापस गई उसी वृक्ष के नीचे, और पहली ही छलांग में अंगूर का गुच्छा उसके हाथ में आ गया। लेकिन जब उसने चखा, तो अंगूर सच में ही खट्टे थे। अब लोमड़ी क्या करे? उसने लौट कर अपने साथियों से कहा कि - अंगूर बहुत मीठे हैं।

अहंकार है, तो किसी तरह हार नहीं मानेगा। न पहुँच पाएँ अंगूर तक, तो अंगूर खट्टे हैं। और पहुँच जाएँ, तो अंगूर खट्टे हों तो भी मीठे हैं।

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