ईश्वर दो बार हँसते हैं



ईश्वर दो बार हँसते हैं। 

एक बार उस समय – जब दो भाई जमीन बाँटते हैं और रस्सी से नापकर कहते हैं, इस ओर की जमीन मेरी है, और उस ओर की तुम्हारी।


ईश्वर यह सोचकर हँसते हैं कि संसार है तो मेरा; और ये लोग थोड़ी-सी मिट्टी लेकर इस ओर की मेरी, उस ओर की तुम्हारी कर रहे हैं!”



फिर ईश्वर एक बार और हँसते हैं –
बच्चे की बीमारी बढ़ी हुई है। उसकी माँ रो रही है। वैद्य आकर कह रहा है, डरने की क्या बात है, माँ! मैं अच्छा कर दूँगा।



वैद्य नहीं जानता कि ईश्वर यदि मारना चाहे, तो किसकी शक्ति है जो अच्छा कर सके?

स्वामी रामकृष्ण परमहंस


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